चौराहा

चौराहे पर खड़ा हॅूं

एक तरफ

सिद्धांतवादी लोग हैं

दूसरी तरफ

अपनी ढफली

अपना राग वाले लोग हैं

तीसरी तरफ

पूराने और गांधी टाईप के

‘रोल माडल’ लोग खड़े हैं

भागते, दौड़ते लोग हैं

जिन्हे चंद भौतिक वस्तुएँ

और चमक-दमक आकर्षित

कर रही हैं।

यहाॅं रोज एक ‘रोल माडल’

बनता है और बिगड़ता है।

चारों रास्तों में

वैचारिक मतभेद यह है कि

सभी एक दूसरे को अप्रासंगिक कहते हैं,

कोसते हैं।

आज मैं हतप्रभ सा खड़ा हूँ

इस चौराहे पर

किसी राह के चुनाव

के इंतजार में।

डॉ. लोकेन्द्रसिंह कोट

नैवेघ, 17-A, डायवर्शन रोड, आदिनाथ कॉलोनी

बड़नगर -456771

फोन- 9406541980