इन्दौर । इन्दौर जिले के बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में रक्ताल्पता (एनिमिया) की स्थिति को सुधारने के लिए मिशन मोड पर एक अभियान शुरू करने जा रहा है। ‘एनिमिया मुक्त भारत’ अभियान के तहत गांव-गांव जाकर पांच वर्ष तक के बच्चों और 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं में एनिमिया का पता लगाया जायेगा और एनिमिक पाए जाने पर उन्हें जरूरी उपचार दिया जाएगा। इसके लिये बच्चों को स्कूलों में आयरन फॉलिक एसिड की गोली और सीरप वितरित किये जायेंगे। महिलाओं और किशोरियों को आँगनवाड़ी के माध्यम से आयरन फॉलिक एसिड की गोलियों का वितरण किया जायेगा। साथ ही जिले में पोषणयुक्त भोजन के उपयोग के संबंध में जन-जागरूकता अभियान भी चलेगा।
यह जानकारी आज यहां रवीन्द्र नाट्यगृह में कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा ली गई बैठक में दी गई। बैठक में अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एस. सैत्या, जिला शिक्षा अधिकारी मंगेश व्यास, महिला एवं बाल विकास के सहायक संचालक रामनिवास बुधोलिया सहित स्वास्थ्य, महिला बाल विकास और शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे। बैठक में कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में रक्ताल्पता (एनिमिया) की स्थिति हम सबके लिये चिंताजनक है। यह देखने में आ रहा है कि इन वर्गों में एनिमिया बढ़ रहा है। इसकी रोकथाम करना हम सबका परम दायित्व है। सभी संबंधित विभागों के अधिकारी एनिमिया को समाप्त करने के लिये समन्वित प्रयास करें। एनिमिया जैसे मामलों में सबसे बड़ी समस्या ये है कि लोगों को ये मालूम ही नहीं होता कि वे एनिमिक हैं, इसलिए एनिमिया का पता लगाया जाना अत्यंत जरूरी है। इस कार्य में आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं और चिकित्सकों की अहम भूमिका है। बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में नियमित रूप से जांच कर एनिमिया का पता लगाया जाये। इसकी जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और फील्ड में काम करने वाले अन्य लोगों की रहेगी। एनिमिक पाए जाने पर, उन्हें आयरन की गोली समेत अन्य जरूरी दवाएं दी जाये। साथ ही उन्हें खाने में क्या-क्या घरेलू चीजें लेनी हैं, ये भी बताया जाये। इसके बाद आशा कायकर्ताएं और एएनएम इन लोगों की सतत जानकारी लेती रहे।
:: एनिमिया में हो सकती है ये परेशानियां ::
- रक्त में ऑक्सीजन की कम आपूर्ति से अंदरूनी अंग जैसे कि किडनी-लीवर आदि को क्षति पहुंच सकती है।
- रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी पूरा करने के लिए हृदय ज्यादा मेहनत करता है, इससे उसे नुकसान पहुंचता है।
- गर्भवती महिलाओं में एनिमिया समयपूर्व प्रसव और कई बार बच्चे की मौत का भी कारण बन जाता है।
- एनिमिक बच्चे प्राय: अल्प-पोषण, कुपोषण और ठिगनापन का शिकार हो जाते हैं, जिससे उनका पूरा जीवन प्रभावित होता है।
:: क्या है एनिमिया ::
बच्चों के रक्त में प्रति डेसीलीटर 11 ग्राम से कम हेमोग्लोबिन और महिलाओं के रक्त में प्रति डेसीलीटर 12 ग्राम से कम हेमोग्लोबिन होने की स्थिति को एनिमिया या रक्ताल्पता की स्थिति माना जाता है।