मेरा प्यार मेरा परमार

वो मेरा इकलौता सच्चा प्यार हैं ।

मेरा नही पर वो किसी और का भरतार हैं।

चाहत मेरी हैं पा लू उसको

पा नही सकती वो किसी और का सरताज है ।

वो भी चाहत रखता हैं मिलने की

मेरा दिल उनसे मिलने को बेकरार हैं ।

मेरी पहली मोहब्बत वही मेरा प्यार हैं।

यह जालिमों की दुनिया है जनाब

यहां प्रेमियों को बीच डाल देते हैं दरार ,

वो मेरी पावन सी गाथा है उसका प्यार ।

मेरी हर मुस्कान के पीछे की वजह है वो

मेरी हर बात सुनी ना की कभी तकरार 

उसके जैसा कोई नहीं कर पाएगा किसी को प्यार ।

उसके साथ बातो में उलझकर मै

करती हूं उसको हर दफा परेशान मैं ।

उसके लिए जिंदगी जीना चाहती हू मैं ।

वो इश्क नही जन्नत सा है मेरे प्यार 

उसको नजर ना लगे बचा लो भगवान

मेरी चाहत तेरे संग जिंदगी बिताने की 

थोड़ा तो मान जावों मेरे जिक्स परमार ।

रवीना सिंह राठौड़ 

सिरोही