ड्रोन सिंचाई तकनीक कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक उन्नति लायेगी – पर्यावरण मंत्री श्री डंग

“गौ-शाला अपशिष्ट का वैज्ञानिक पुन: उपयोग विचार गोष्ठी
भोपाल। पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने कहा कि ड्रोन सिंचाई तकनीक कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक उन्नति लायेगी। परम्परागत सिंचाई में जहाँ एक हेक्टेयर क्षेत्र में 300 से 500 लीटर जल से 7 घंटे में, ट्रेक्टर स्प्रेयर से 2 घंटे में सिंचाई होती है, वहीं ड्रोन मात्र 20 मिनिट में 90 प्रतिशत कम जल (25 लीटर) से सिंचाई करता है।
श्री डंग ने यह बात आज होशंगाबाद जिले के बनखेड़ी स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में “डेयरी एवं गौ-शालाओं से उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट गोबर, गौ-मूत्र एवं गंदे पानी के वैज्ञानिक पद्धति से पुन: उपयोग” पर केन्द्रित एक-दिवसीय विचार गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए कही। श्री डंग ने केन्द्र में ड्रोन सिंचाई का अवलोकन भी किया। संगोष्ठी में विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा और ठाकुरदास नागवंशी भी मौजूद थे। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल और भाऊ साहब भुस्कुटे स्मृति लोक न्यास द्वारा संगोष्ठी आयोजित की गई।
श्री डंग ने कहा कि उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क किनारे नालियों और हेण्ड-पम्प के पास पानी जमा न होने दें। गौ-शालाओं के सुचारु संचालन के लिये जन-साधारण को भी योगदान के लिये प्रेरित करें। गायों से उत्पन्न गौ-मूत्र, गोबर से निर्मित खाद, दवाइयाँ, पेस्टीसाइड, फिनाइल आदि लोकप्रिय हो रहे हैं। इनकी अच्छी मार्केटिंग कर गौ-शालाओं को मजबूत बनायें। मुख्य वक्ता सुरेश सोनी ने कहा कि पेस्टीसाइड और फर्टिलाइजर के स्थान पर बॉयो पेस्टीसाइड और फर्टिलाइजर इस्तेमाल करें।
सदस्य सचिव ए.एन. मिश्रा ने पराली से उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिये विशेष कार्य करने और इसका औद्योगिक उपयोग करने के बारे में सुझाव दिया। वैज्ञानिक डॉ. योगेन्द्र कुमार सक्सेना, डॉ. प्रवीण सोलंकी, मोहन नागर और अनिल अग्रवाल ने भी गौकाष्ठ, गोबर और गौमूत्र से बनने वाले विभिन्न उत्पादों आदि पर प्रस्तुतिकरण दिया।