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तुम्हारी आँखों में शरारत देख रहा हूं कब से मैं !
कुछ तो शर्म करो मेरा सब्र जवाब दे रहा मुझे !!
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तुम्हारी आँखें पढ़ने का हुनर मालूम हो गया मुझको !
अपनी गुस्ताखियां कब तक छिपाते फिरोगे मुझसे !!
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अपनी आँखों में दूसरे की इज़्ज़त का ख्याल रखो वरना !
सरे बाज़ार तुम्हारी भी इज़्ज़त नीलाम हो जाएगी !!
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अपनी कहानी सुनाते रहो शौक़ से मुझको प्यारे !
मेरी आँखें तुम्हारे चेहरे के भाव पढ़ती जाएंगी !!
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अपनी ज़िंदगी में किसी गरीब का दिल दुखाना मत प्यारे !
गरीब की आँखों में सदा इंसानियत की तस्वीर बसती है !!
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हम तो हमेशा मोहब्बत का पाठ पढ़ाते रहे तुमको !
मगर तुम्हारी आँखों में नफ़रत की तस्वीर देखी मैंने !!
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ज़िंदगी जीने के लिए उम्र बहुत छोटी है !
अपनी आँखों में प्रेम के आँसू बचाए रखो !!
******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश ! संपर्क सूत्र – 9450489518