ख्वाबों के पंछी

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ख्वाबो के पंछी अब आशियाना चाहते हैं ।

थक चुके उड़ान भरते भरते, ठिकाना चाहते हैं ।।

यूँ तो जिन्दगी का सफ़र ,अभी लम्बा है ।

सफ़र में परिंदे, घरोंदा(घर) बनाना चाहते हैं ।।

ख्वाबों के पंछी अब आशियाना चाहते है ।

तुम्हारे पास दिल ,धड़कन, अहसास, प्यार, खुशी सब कुछ है ।

हाथ बढाओ तो, ये भी सब कुछ बांटना चाहते हैं ।।

ख्वाबों के पंछी अब आशियाना चाहते हैं ।

तुम्हारी कहानियाँ भी अच्छी है “राधे” ।

मगर ये भी अपनी कहानी कहना चाहते हैं ।।

ख्वाबों के पंछी अब आशियाना चाहते हैं ।

जरुरत सबको सबकी होती हैं , मगर;

“राधे” साथ तुम्हारे ये रहना चाहते हैं ।।

ख्वाबों के पंछी अब आशियाना चाहते हैं ।

टीकम नागर “राधे”