मरया बिना भी कई सरग दिखे
भणनो तो पड़ेगो तमारे नाना नानी,
पास होवा में नि चलेगी आनाकानी,
पास तो वीज होगा जो अच्छो लिखे,
मरया बिना भी कई सरग दिखे |
खेत के बखरी के तैयार रख्ननो पड़ेगो,
अच्छो बीज बोयके पांणत करणो पड़ेगो,
टेम पे फसल काटी के मंडी भेजणो पड़ेगो ,
किरसाण तो उज जीके खेत ज खेत दिखे,
मरया बिना भी कई सरग दिखे |
ढोर भूखा बन्दया चरावा नी जावगा,
भैंस सारु बाटो कदे गलावगा,
परोडे दूध काड़वा में सुस्ती बतावगा,
जो जल्दी उठे उ अपनी किस्मत खुद लिखे,
मरया बिना भी कई सरग दिखे |
नाना की फाटी गी चड्डी हाट कदे जावगा,
छोरी ब्याव सरीखी हुइगी कई कोट कुदवावगा,
रिश्तेदारी में कई सबकी नाक कटवावगा ,
आँख होते हुवे भी तमारे यो सब नि दीखे,
मरया बिना भी कई सरग दिखे |
राजेश भंडारी “बाबू “
मालवी कवि व साहित्यकार
9009502734