” जादू मीठी बातों का “

तुमने हँस कर बाजी जीती ,

हम तो हारे बैठे है .

सपने भी अपने कब ठहरे ,

नाम तुम्हारे ऐंठे हैं .

उड़ी नींद आँखों की ऐसी ,

हुआ जागरण रातों का .

दिल भी अपना गया हाथ से ,

जादू मीठी बातों का .

मूक निमंत्रण सदा तुम्हारा ,

मुझको रास न आया है .

भय में प्रीत कहाँ भाती है ,

फिर भी मन भरमाया है 

नयनों ने की खूब शरारत ,

भूल गये हम मधुशाला .

प्यासे प्यासे अधर चाहते ,

अब हाला का वह प्याला .

अलि ने चाहा है पराग तो ,

खूब लगाये फेरे हैं .

धूप छाँह क्या छला गया पर ,

सदा गीत ही टेरे हैं .

सुमन सदा हैं रहे विहँसते ,

और गंध है बौराई .

सदियों से यह प्रीत पुरातन ,

काँटों में पलती आई .

साहस करके हाथ बढाओ ,

अगर ध्येय को पाना है .

भाव तुम्हारे पावन हैं तो ,

दुनिया से टकराना है .

कदम मिलाकर साथ चलेगें ,

जो होगा देखा जाये .

राह नहीं यह सुगम जान लो ,

यहाँ सफलता तरसाये .

बृज व्यास 

शाजापुर ( मध्यप्रदेश )

9425428598