नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुद्वारा लखपत साहिब, गुजरात में गुरु नानक देव जी के गुरुपर्व समारोह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है। मुझे याद आ रहा है कि अतीत में लखपत साहिब ने कैसे-कैसे झंझावातों को देखा है। उन्होंने याद करते हुए कहा कि एक समय ये स्थान दूसरे देशों में जाने के लिए, व्यापार के लिए एक प्रमुख केंद्र होता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2001 के भूकम्प के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का सौभाग्य मिला था। मुझे याद है, तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के मौलिक गौरव को संरक्षित किया। उन्होंने कहा कि प्राचीन लेखन शैली से यहां की दीवारों पर गुरूवाणी अंकित की गई। इस प्रोजेक्ट को तब यूनेस्को ने सम्मानित भी किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि महान गुरु साहिब की कृपा से हमारी सरकार को गुरु गोविन्द सिंह जी के प्रकाश उत्सव के 350 साल का पुण्य वर्ष मनाने और गुरु नानकदेव जी के प्रकाश पर्व के 550 वर्ष पूरे होने पर इसके आयोजन करने जैसे पवित्र कार्य को पूरा करने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में गुरु नानकदेव जी का संदेश पूरी दुनिया तक नई ऊर्जा के साथ पहुंचे, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए। दशकों से जिस करतारपुर साहिब कॉरिडोर की प्रतीक्षा थी, 2019 में हमारी सरकार ने ही उसके निर्माण का काम पूरा किया। अभी 2021 में हम गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश उत्सव के 400 साल मना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, आपने जरूर देखा होगा, अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से स-सम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं। गुरु कृपा का इससे बड़ा अनुभव किसी के लिए और क्या हो सकता है? उन्होंने कहा, “अभी कुछ महीने पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा, जो भारत की ऐतिहासिक अमानत थी, जो कोई उनको चोरी करके ले गया था, वो 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं हम वापस लाने में सफल हुए। इसमें से एक पेशकब्ज यानी छोटी तलवार भी है, जिस पर फारसी में गुरु हरगोबिंद सिंह जी का नाम लिखा है।” उन्होंने कहा, “यानि ये वापस लाने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये गुजरात के लिए हमेशा गौरव की बात रहा है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख, भाई मोकहम सिंह जी गुजरात के ही थे। देवभूमि द्वारका में उनकी स्मृति में गुरुद्वारा बेट द्वारका भाई मोहकम सिंघ का निर्माण हुआ है। प्रधानमंत्री ने बाहरी हमले और अत्याचार के समय महान गुरु परंपरा का भारतीय समाज के लिए योगदान को सम्मानपूर्वक स्मरण किया। उन्होंने कहा कि तमाम विडंबनाओं और रूढ़ियों से जूझते समाज को गुरु नानक देव जी ने भाईचारे का संदेश दिया। इसी तरह, गुरु अर्जुनदेव जी ने पूरे देश के संतों के सद्विचारों को पिरोया और पूरे देश को भी एकता के सूत्र से जोड़ दिया। गुरु हरकिशन जी ने मानवता की सेवा का जो रास्ता दिखाया था, वो आज भी हर सिख और हर भारतवासी के लिए प्रेरणा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरु नानक देव जी और उनके बाद हमारे अलग-अलग गुरुओं ने भारत की चेतना को तो प्रज्ज्वलित रखा ही, भारत को भी सुरक्षित रखने का मार्ग बनाया। हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है। बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भारत पर बाबर के आक्रमण का खतरा था तो गुरु नानक देव जी की समझ बिल्कुल स्पष्ट थी।