बालकविता

“लाल-लाल निकला गोला”…

दिशा ने अपना पट खोला,

लाल-लाल फिर निकला गोला।

रौनक हो गए बाग बगीचे,

और कलियां मोहक मुस्काये।

सर-सर सर-सर चली हवाएं

फूलों की खुशबू ले आये।

रोशन हो गए नीड़ पेड़ के,

स्वागत में चिड़ियां गीत गाये।

लोग निकल आये गलियों में,

गुन-गुन धूप सबके मन भाए।

रोचक हो गई गालियां सारी,

बच्चे खेले उत्पात मचाये।

खुशियों का भर लाया झोला,

दिशा ने अपना पट खोला..

वेद उत्कर्ष चन्द्राकर

         अंडा,दुर्ग(छत्तीसगढ़)