इनी कोरोना का बीच,
कई नवो बरस मनावां ।
घरे रय ने सगला अपण,
कोरोना के दूर भगावां ।।
अपणा भारत की संस्कृति,
नवीपीढ़ी का मन में जचावां ।
अपण तो गुड़ी पड़वा के ज,
नवा बरस का रूप में मनावां ।।
अपणी संस्कृति चिर सनातन,
इके आखा जग में फेलावां ।।
यो केलेंडर बदलणे को दन हे,
यो नाना-मोटा के समझावां ।।
यो नवो बरस अंग्रेजी हे हो,
इके अपण क्यवं मनावां ।
घरे रय ने सगला अपण
कोरोना के दूर भगावां ।।
ओमिक्रान ने चुनाव को तीर,
म्यान में ज हे खुसी मनावां ।
लापरवाही करेगा कोई ओर,
उकी कीमत अपण चुकावां ।।
खट्टो-मीठो सगलो अनुभव,
यो सब लोगोण के बतावां ।
जो 2021 अपणे दय ग्यो,
2022 में कई नवो करावां ।।
करणो हे कई नवो काम,
तो चलो योग के अपणावा ।
परोड़े उठणे की हऊ आदत,
नाखी ने अपण फरवा जावा ।।
हेमलता शर्मा भोली बेन,
इंदौर, मध्यप्रदेश