एक कदम तुम चलो, एक कदम हम चलें
जिंदगी का सफर यूं ही कट जाएगा
कुछ तुम्हारी कहो, कुछ हमारी सुनो
इस तरह गम हमारा ये बंट जाएगा!
इस जमाने ने बख्शा है किसको भला
प्रेम जिसने किया, उसको विष ही मिला
आजमाएगा कब तकअंधेरा हमें
एक दिन ये अंधेरा भी छंट जाएगा!!
दीप बन वर्तिका से हम जलते रहे
दूसरों के लिए खुद को छलते रहे
भ्रम की परछाई को अपना समझा सगा
धुंध का आवरण था अब हट जाएगा!!
रश्मि मिश्रा ‘रश्मि’
भोपाल (मध्यप्रदेश )