दर्द का एक युग बीत गया,
लौट वर्ष वो न आए ,
नया वर्ष अपने आंचल में,
सुमन हर्ष के भर लाए ।
अरुण अरुणिमा को संग लेकर,
इंद्रधनुष के रंग भरे,
अलसाये पल्लव मुस्काकर,
प्रकृति का यशगान करें,
राधा श्याम करें बरजोरी,
गोकुल चंदन बन जाए,
नया वर्ष अपने आंचल में,
सुमन हर्ष के भर लाए ।
भय सांकल खटकाए न,
अवसाद दूर ही रहे खड़ा,
नेह कोयलिया घर घर कुहके,
फूटे सुख का मेघ घड़ा,
महक उठे ये भूमि भारती,
सांसे सरगम बन जाएं ,
नया वर्ष अपने आंचल में,
सुमन हर्ष के भर लाए ।
वंदनवार सजे हर द्वारे,
गणपति का आशीष मिले,
रंगोली के बिखरे रंग से,
द्वार द्वार सौंदर्य खिले।
अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा,
आशाएं हिय धर पायें,
नया वर्ष अपने आंचल में,
सुमन हर्ष के भर लाए ।
सीमा मिश्रा,बिन्दकी-फतेहपुर
उत्तर प्रदेश