जमीं पे रोशनी सूरज का पड़ेगा
जब धूप मेरे आंगन में खिलेगा,
सहेज के रखूंगा बुने सपनों को
तब याद तुम बहुत मुझे आओगे।
सफर में कहाँ साथ चल पाओगे।
चाँद की चाँदनी व्योम में चमकेगा
रोशनी से छत को नहला जायेगा,
तब टूटा दिल खुद बहल जायेगा
तब याद बहुत तुम मुझे आओगे।
साथ कहाँ दूर तक निभा पाओगे
मौसम जब- भी वक्त से बदलेगा
फूलों पे तब नया निखार आयेगा
बेचैन मन मेरा तुमको पुकारेगा
तब याद बहुत तुम मुझे आओगे
करीब परछाई बन रह जाओगे।
साथ कहाँ दूर तक निभा पाओगे,
सफर में याद बन के रह जाओगे।
संजय श्रीवास्तव
अनीसाबाद
पटना।