अशोक अर्धांगिनी प्रेम प्रेयसी।
संगीता रूपवती जीवन संगिनी।।
कोमल हृदय अमृतवाणी बोल।
प्राप्या सुखमणि सुगंधित चोल।।
शक्ति,भक्ति,ज्ञान,दान प्रेमप्रिया।
स्वर्ग मल्लिका महारानी जिया।।
प्रेम वर्षण अगाध आत्म तृप्ति।
जीवन फुलवारी वसुंधरा सृष्टि।।
अंतःकरण वासिनी अद्भुत रूप।
अनुराग आकृष्ट मर्यादा अनूप।।
नयन मृगनयनी मुख सुधाकर।
आचरण सरल सरस मधुकर।।
हिमशिखर सम मुकुट दिव्यमान।
सुख आनंद मंगल देवी महान।।
रातरानी कली सुगंधित तिमिर।
श्वेत मोंगरा जड़ित ओष्ट अधीर।।
चंचल हृदय क्षणप्रभा रूप यौवन।
बैठी प्रेम वाटिका कुंतल मधुवन।।
कोमल कपोल रम्यता अलौकिक।
मुस्कान मोती अंबर तारे लौकिक।।
प्रथम किरण तरंग मिलन शुभागमन।
देख रूप सौंदर्य मूर्छित भूमि शयन।।
कह रहा कविराज काव्य शिरोमणि।
बंधन अटूट निश्छल अमूल्य मणि।।
पाकर बैरागी बन गीत गाए अशोक।
थिरक-थिरक नृत्य करे जन आलोक।।
श्वेत जलकमल सी लचीली कटिभाग।
खिला लाल स्थलकमल पंखुड़ी बाग।।
मिलन विभावरी शहद चंद्रमा निशीथ।
प्रेम-ही-प्रेम वर्षण प्रवाहित प्रतीत।।
उडुगन रुपी शिशु जन्म लिए सदन।
मंगल-ही-मंगल काज आशीष प्रदान।।
सुख शांति संतुष्टि धैर्यवान मन हर्षित।
अपूर्व प्रांजल शीतल जीवन दर्शित।।
प्रेम अनुरागी इंसान बन जाता महाकवि।
रात-दिन दिखाई देता प्रेमिका की छवि।।
एक तस्वीर नयन सम्मुख आलोकित।
मेरी प्राणप्रिया श्रेष्ठ प्रियतमा सम्मोहित।।
कहे शिक्षादूत प्रेम ज्ञान प्रतिष्ठा खज़ाना।
मिले ना प्रेम पुरस्कार सहज अनजाना।।
अशोक कुमार यादव, सहायक शिक्षक, मुंगेली छत्तीसगढ़
मोबाइल नंबर- 8965832180