रह जाएगा बाकी..

एक न एक दिन खत्म हो जाएंगे ये रास्ते भी

रह जायेगा बाकी..”मिलना” किसी का ही !!

यूं तो कह ही दिया था ‘सब कुछ’.. बहुत कुछ

रह जायेगा बाकी..”किसी” से “अनकहा” ही !!

टालते कब तक, दहलीज से गुजरना ही पड़ा

रह जायेगा बाकी..किसी की राह तकना ही !!

ठोकरें कुछ वक्त ने दी, खुद नासमझ से भी रहे

रह जायेगा बाकी..मेरा गिरकर संभलना ही !!

एक दौर था वो, बहकर उसी में साथ चल दिए

रह जायेगा बाकी..मेरा खुद का “ठहरना” ही !!

लिखते रहे खुद को, कोई किस्सा समझकर ही

रह जायेगा बाकी..वो दिल का “न कहना” ही !!

यूं ही उम्र कटती रही, जीते रहे “रिश्तें” सभी

“मनसी”, रह जायेगा बाकी..हद से गुजरना ही !!

नमिता गुप्ता “मनसी”

उत्तर प्रदेश , मेरठ