*******************
तवा गरम है –
रोटियां सेंकिए ।
आएंगे आपके द्वार –
ये वोट मांगने ।
जीत के बाद ये –
सूली पे टांगने ।
हवा गरम है –
धूप मत फेंकिए ।
पैरों से रोंदेंगे ये –
मुद्दों की दूब ।
दिन में दिखाएंगे –
ये स्वप्न खूब ।
दिवा वहम है –
तारों में बैठिए ।
गूंगों की बस्तियां –
बहरों की सत्ता है ।
फागुन के दिन हैं –
शेष कहां पत्ता है ।
नवा भरम है –
जूना न छोड़िए ।
चकाचौंध में आपको –
देखने न कुछ देंगे ।
वादे तो बस हवा हैं ,
उनसे पेट भर देंगे ।
सबा कुंकुम है –
हृदय में पैठिए ।
+ अशोक ‘ आनन ‘ +
मक्सी