पंच भूत रंगों से धार्मिक पताका बौद्ध बनी
दरख़्तों सी छाया दे नीलगगन विधान घनी।
बौद्ध धर्म की धर्म ध्वजा है पंचशील महान
विश्व जहां में है रखती अपनी एक पहचान।।
नीला पीला लाल श्वेत केसरिया बस रंगों में
करुणा दया प्रेम गौरव शांति भरता अंगों में।
बौद्धधर्म द्योतक सुचिता पवित्रता की वाणी
धर्म ज्ञान को पथ दिखलाती ले यही कहानी।
सच्चाई जीवन राह दिखाता ज्योति भरता है
जीवन सितम मिटाकर कलि तमस हरता है।
पंचभूत जीवन जग पंचशील पताका फहराई
पीड़ित दमित मनुज ऋतुचक्र ने ली अंगड़ाई।।
अतिवाद जाति वर्ग धर्म संघर्षों में मिली जीत
अहिंसा परमो धर्म धर्म चक्र फैली अभि प्रीत।
सत्य अहिंसा दया धर्म करने मानवता की सेवा,
छोड़ दिया पैगंबर ने बरसा नैसर्गिक सुख मेहा।
संसृति के जीवन में सुख समृद्धि पंचशील भरो
करुणा दया धर्म सेवित मानवता दुख पीड़ा हरो।
अस्तेय चोरी-ब्रम्हचर्य,झूठ-पाप,मुक्त मांसाहार
मदिरात्याग बन शिक्षित सद्चरित्र कर व्यवहार।
जय बुद्धम शरणम संघम शरणं धम्मम शरणम।
जीव अविनाशी अखंडता अभेध्य सुख वरणम्।।
चल अष्टांग मार्ग पे प्रेम प्रकाश जग में फैलाओ
अप्प दीपो भव नमोस्तुते बुद्धाय सीख सिखाओ।।
के एल महोबिया
अमरकंटक अनूपपुर मध्यप्रदेश