एहसास हूँ

मैं जिसका न कोई रंग

न कोई आकार

बस मीठी सी कसक है

जो पहुँचे दिल से दिल तक।

एहसास हूँ

मैं जिसका न कोई वक्त

 न कोई मौसम

बस मीठी सी महक है

जो पहुँचे दिल से दिल तक।

एहसास हूँ

मैं जिसका न कोई नाम

न कोई पहचान

बस मीठी सी धड़कन है

जो पहुँचे दिल से दिल तक।

एहसास हूँ

मैं जिसका न कोई धर्म 

न कोई भाषा

बस मीठी सी उल्फ़त है 

जो पहुँचे दिल से दिल तक।

एहसास हूँ मैं

खामोश हूँ मैं

सदा हूँ 

बस प्यार हूँ मैं

जिसे छू लूँ दिल से 

रम जाऊं उसी में

हो फिर वो प्रीत

भक्ति या देश

एहसास बन बस नस नस

में बहती हूँ लहू सी 

खामोश, बेजुबां, बिना भेदभाव के।।

…..मीनाक्षी सुकुमारन

           नोएडा