वक़्त-वक़्त की बात है..

 पुरजोर क़ोशिश से

यकीनन अनदेखा

खुदा भी मिल सकता है,

मगर खामियां खुद की कभी

नजर आती नहीं !

 वक़्त हो गर अच्छा

दरख्त भी हरे पत्तों को

जोड़े रखते हैं,

बुरे वक़्त में वो भी

शुष्क पत्तों छोड़ देते हैं ! 

वक़्त वक़्त की बात है

इन्तजार जिन्हें कल तक था

हमारा बेसब्री से,

उनकी राह की खातिर

आज आँखें पथराई हैं ! 

वक़्त सिखा देता है

यहाँ अपना  और पराया

जीवन की राह में,

तलाश अब खुद में ही

खुदाई की करनी होगी !

मुनीष भाटिया 

 178, सेक्टर-2,

कुरुक्षेत्र, हरियाणा              

9416457695