गीत

जीवन एक झमेला जानो ,

सब खेले यह खेला है !!

परिवारों ने बाँधा हमको ,

जीना भी सिखलाया !

छोड़ चला परिवार अगर तो ,

भेद समझ यह आया !

सभी साधने हित बैठे हैं ,

और जुड़ा यह मेला है  !!

बढ़े कारवाँ महफिल सजती ,

बैठे कभी अकेले ! 

कलकल करके बहते रहते ,

हैं सुख दुख के रेले !

चिकनी चुपड़ी , रूखी सूखी ,

कभी भाग्य ने ठेला है !!

कथनी करनी सबकी अपनी ,

 प्रतिफल पाते रहते !

जिसके हिस्से जो भी आये ,

हँसते गाते सहते !

हाथ पाँव ने दम साधा तो ,

हिम्मत ने सब झेला है !!

आँखों में आँसू कब ठहरे ,

हैं दिनमान बदलते !

छलना जग की नियति मानते ,

समय , दशा सब छलते !

नाम , काम सब जुड़े श्वांस से 

तन माटी का ढेला है !!

बृज व्यास 

शाजापुर ( मध्यप्रदेश )

9425428598