हाथ आगे है बढ़ाये कौन !
आज गिरते को उठाये कौन !!
साँझ भी दिन को निगलती रोज ,
याद दिनकर को दिलाये कौन !
आँसुओं में भीगती से बैन ,
मौन रहकर भी सताये कौन !
राह में भटके हुए हैं लोग ,
यार रूठों को मनाये कौन !
प्यार के कुछ बोल हैं आजाद ,
फिर लबों पर गुनगुनाये कौन !
झूँठ तो करता सदा मनुहार ,
साँच को फिर आजमाए कौन !
नेक नीयत पर करें संदेह ,
” बिरज ” अब हमको बचाये कौन !!
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )
9425428598