रीता बहुगुणा जोशी भी विद्रोह की राह पर?

उत्तरप्रदेश चुनाव के एलान होते ही भाजपा की मुश्किलें थमने का नाम नही ले रही है

सांसद रीता बहुगुणा ने अपने पुत्र मयंक जोशी के विधायक टिकिट के लिए पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिख कर अपने पुत्र के टिकिट हेतु खुद सांसदी छोड़ने को तैयार है मयंक पिछले 12 वर्षों से भाजपा से जुड़े है और कर्मठ कार्यकर्ता भी है- लखनउ केंट से मयंक की दावेदारी भी प्रस्तुत की है यह सीट भाजपा की सुरक्षित सीटों में आती है। यहां से सात बार कांग्रेस जीती है अब भाजपा की वीआईपी सीट में गिनती है लेकिन कभी भी सपा या बसपा यहां से नही जीत पाई है। क्योकि ब्राह्मण्ड बहुल सीट भी है- तो जातीय समीकरण भी एक बड़ा  फैक्टर रहेगा,,

लेकिन इस पर परिवारवाद के साए मंडराने लगा है यदि भाजपा के बड़े नेता अपने भाई बेटे या परिवार के लिए ऐसे टिकट का समायोजन करवाएंगे तो आम कार्यकर्ता का मनोबल गिरेगा और अंतःकलह की संभावना बढ़ेगी

इधर सपा सुप्रीमो मुलायम की बहू अपर्णा यादव भाजपा में शामिल हो गई है पिछली बार वह लखनऊ केंट से चुनाव लड़ी और हार गई थी सामने थी रीता बहुगुणा जोशी,रीता बाद में 2019 में प्रयागराज से सांसद बनी थी। 

अब अगर भाजपा अपर्णा यादव को मैनेज करती है तो मयंक जोशी का टिकिट कटना तय रहा ???

रीता ने 2017 में ही खुद के चुनाव को अंतिम मान कर लड़ा था लेकिन 2019 में  चुनाव की पेशकश की जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया था- रीता ने कहा कि वह भाजपा में थी है और रहेगी। 

पार्टी के नियम एक परिवार से एक टिकिट का समर्थन करते हुवे खुद सांसद पद से इस्तीफे की पेशकश भी की है। 

उधर खबर यह भी आ रही है कि राजनाथसिंह के पुत्र पंकज नाथ का टिकिट भी अंतिम दौर में और लगभग तय माना जा रहा है 

वही भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने बहुगुणा जोशी की मांग का सार्वजनिक विरोध भी कर दिया है, सुब्रत ने ही डिम्पल यादव को हराया था

भाजपा अपने पंद्रह नेताओ के सपाई होना पचा नही पाएगी तो भरपाई यादव परिवार की बहू से करेगी और विधानसभा भी लानी चाहेगी तो इस उद्देश्य के चलते मयंक जोशी का टिकिट मुश्किल बन पड़ेगा ???

क्या उत्तरप्रदेश भाजपा रीता की सांसदी पर पंकज जोशी को टिकिट नही देंगी या अपर्णा यादव को मरनेज किया तो रीता भी स्वामीप्रसाद मौर्या की राह पर निकलेगी ??

जवाब भविष्य की गर्त में छिपा

*इदरीस खत्री*