वीणा के सातों सुर बजते नहीं

बिन तेरे सनम, अब ये जिंदगी कटती नहीं 

तू न आया, सनम, ये दर्द ए रातें घटती नहीं।।

इन आंखों में आज भी तेरे ख्वाब सजाएं बैठी

इन लबों से तेरे नाम कि रट अब तक हटती नहीं।।

जानती हूं मैं ए हमदम़ तुम न अब मेरे हो सकते

फिर भी मेरे सांसों कि डोर सनम टूट थमती नहीं।।

न जाने क्यों आज भी मुझे तेरा इंतज़ार रहता

क्यों इंतज़ारे उम्मीद कि घड़ियां कहीं जमती नहीं।।

न जाने कौन सी महक से तूने मुझे महकाया था

आज तेरी महक बिन श्रृंगार कर भी सजती नहीं।।

वीणा के सातों सुर हर दम बस तेरे नाम लेते 

वीणा के सातों सुर सनम बिन तेरे अब बजते नहीं।।

वीना आडवानी तन्वी

नागपुर, महाराष्ट्र