वक्त

ये वक्त सिख बड़ी दे जायेगा         

किसे पता था 

ऐसा वक्त भी आएगा

कि मंदिर बंद होंगे

 मस्जिद बंद होगा।

गुरुद्वारे सुने होंगे

 गिरजाघर भी अकेला होगा।

सिर्फ अस्पतालों में 

नई आशाओं की दीप जलेगी

ये वक्त भी बदल जाएगा

सिख बड़ी दे जाएगा।

बड़ी दौर गुजरे हैं जिंदगी के,

ये दौर भी गुजर जायेगा।

थाम लो अपने पांव को 

कोरोना भी थम जाएगा।

ये वक्त भी बदल जाएगा 

सिख बड़ी दे जायेगा।

                          – निकहत परवीण

                             बसंतपुर बंगला   अमनौर सारण