यूपी में का बा….?

एक फ़िल्मी स्टार सांसद ने पता नहीं किसको खुश करने के लिए रॉप गाना गाया- यूपी में सब बा…। जनता में धमाल मचाने की हसरत धरी रह गई जब बिहारिन गायिका ने उनके गाने के जवाब में पोल खोल के अपने धाँसू गाने से धज्जियाँ उड़ा दी -यूपी में का बा…? सोशल मीडिया में उनके गाए गाने ने तहलका मचा दिया और भोजपुरी स्टार को लपेटे में ले लिया। अपनी मुंडी ओखली में खुद ही दे मारी जिससे एक नारी पूरी पार्टी पर भारी। फ़िल्मी गाने में गिनाते यूपी की उपलब्धि जो रील सीन सा प्रोमो दर्शकों को लगी और गायिका के जवाबी गाना सत्ता को रियल व्यंग्य सीन सा चुभने लगी। सच की इबारत में झूठ का तड़का सुन जनता भड़का।

सुना रहे थे सांसद फ़िल्मी सेट पर कहानी जबकि जनता देख चुकी है पांच साल का पिक्चर। हुज़ूर गाते-गाते बहुत देर कर दी युवाओं की बदहाली किसके माथे धर दी? हमें न मंदिर चाहिए न मस्जिद चाहिए, बस दो वक्त के निवाले के लिए रोजगार चाहिए। छुट्टा साड़ घूम-घूम लाचार किसान का खेत चरते तो सरकार क्या वह रोज नहीं मरते? सरकार इस नुकसान को भरेगा और पेट कैसे भरेगा? यूपी में रामराज की हुंकार सत्ता में बैठे बेकार। यूपी में जब तक कमंडल दूर मंडल कमीशन की सिफारिश।

यूपी में सब बा….। फिर भी जनता महंगाई से बेहाल बा। गैस सब्सिडी पर प्रश्नचिन्ह बा। यूपी में का बा….! इस व्यंग्य बाण के असहनीय वार से घबराहट होना लाज़मी है। विपक्ष को इस गाने में मिला पक्ष है और सत्ता को उखाड़ फेकना ही उनका एकमात्र लक्ष्य बा। राजनीति के कीचड़ में जो भी कूदता वह लीचड़ बन कर उतराता।

बड़ी-बड़ी हस्ती इसमें डूब जाती और अपना गिरेबान गंदा कर लेती है। हिटलर जैसा क्रूर तानाशाह भी उखड़ जाता है जनता की मशाल की आंधी में। फिर लोकतंत्र में भूल जाना नहीं मुमकिन। यूपी में बदलाव बा…। पांच साल अखबारों में एक पूरा पन्ना इश्तेहार बा। फिर भी जनता बेहाल स्वयं न पूछा क्या हाल बा? कोरोना में दारू बिकी और उधर मासूम की आबरू लूटी।

यूपी में भक्ति का बोल- बाला बा और फिर भी भूखे भजन न होय गोपाला,ले लो अपनी कंठी माला बा। अपनी अकड़ जेब में रखकर कहाँ चलते मंत्री उनकी हनक की पकड़ की डोर कुपुत्र को रास आता। ढीली जनता की पतंग की डोर जिसको हनक के माँझे से बड़ी आसानी से काट देते हैं। कोरोना में छुटी नौकरी फिर भी टैक्स की टैक्सी भेज जेब पर कैची चलाते और कहते हितैषी सरकार बा। महंगाई पर चूड़ियाँ भेजनें वाले अब महंगाई पर चुप हैं। क्या महंगाई धरातल में लोप हो गई जिससे चुप्पी की घुट्टी मार के जिम्मेदार बैठे तमाशा देख रहे हैं। यूपी में सब बा… केंद्र में सरकार बा इसलिए घमंड बा और फिर जनता का जीवन काहे भईया झंड बा..।

– सूर्यदीप कुशवाहा