इन्दौर में शुरू होगा एशिया का सबसे बड़ा ‘बायो-सीएनजी प्लांट’ –

इन्दौर । देश के सबसे स्वच्छ शहर इन्दौर में एशिया का सबसे बड़ा ‘बायो-सीएनजी प्लांट’ आकार ले चकुा है। प्लांट में लगी मशीनों का परीक्षण भी लगभग पूरा हो चुका है। निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल को उम्मीद है कि जन निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल से बनकर तैयार हुए इस प्लांट में पूरी क्षमता से उत्पादन अगले एक माह के भीतर शुरू हो जायेगा।
शुक्रवार को पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल ने बताया कि एशिया के इस सबसे बड़े ‘बायो-सीएनजी प्लांट’ में प्रतिदिन 550 टन गीले कचरे से 18,000 कि.ग्रा. बायो-सीएनजी और लगभग 150 टन कम्पोस्ट खाद बनाई जा सकेगी। उन्होने बताया कि यहां बनने वाली बायो-सीएनजी का इस्तेमाल प्रशासकीय नियंत्रण वाली ‘एआईसीटीएसएल कम्पनी’ के माध्यम से शहर में चलाई जा रही सिटी बसों में किया जाएगा। नगर निगम इन्दौर के देवगुराड़‍िया स्थित ट्रेंचिंग ग्राउण्ड पर 15 एकड़ में ‘बायो-सीएनजी प्लांट’ एक निजी कम्पनी के 150 करोड़ के पूंजी निवेश के साथ स्थापित किया गया है। इस प्लांट की स्थापना के लिए नगर निगम को कोई राश‍ि व्यय नहीं करना पड़ी है, बल्कि इस प्लांट में शहर से प्रतिदिन निकलने वाला लगभग 550 टन ‘गीला कचरा’ उपलब्ध कराने के बदले निजी कम्पनी की ओर से निगम को हर साल 2.5 करोड़ रू. का प्रीमियम दिया जायेगा।
:: कचरे से बनी बायो-सीएनजी, निगम 5 रू. कम में खरीदेगी ::
नगर निगम और निजी कम्पनी के बीच हुए करार के हवाले से निगम अध‍िकारियों ने बताया गया कि ‘बायो-सीएनजी प्लांट’ का संचालन करने वाली निजी कम्पनी इस प्लांट के पूरी क्षमता से प्रारंभ होने पर प्रतिदिन अधि‍कतम 18 हजार कि.ग्रा. बायो सीनएजी का उत्पादन कर सकेगी और नगर निगम आवश्यकता के अनुसार इस गैस को बाजार मूल्य से 5 रू. प्रति किलो कम में इसी कम्पनी से खरीदेगा, जिसका उपयोग लोक परिवाहन के ‘सीएनजी वाहनों’ में करेगा। गैस फ‍िलिंग स्टेशन के माध्यम से कम्पनी यहां बनने वाली गैस को निजी सीएनजी वाहनों को भी बाजार मूल्य पर उपलब्ध करा सकेगी।
उल्लेखनीय है कि करीब 40 लाख की आबादी वाले इन्दौर में प्रतिदिन निकलने वाले लगभग 1200 टन कचरे के सुरक्ष‍ित निपटान की पृथक-पृथक व्यवस्थाऍं विकस‍ित की गई है। इनमें शहर से प्रतिदिन निकलने वाला लगभग 400 से 600 टन गीला और इतना ही सूख कचरा शामिल है। इन्दौर का स्वच्छता मॉडल “3 आर” (रिड्यूज, रीयूज और रीसाइकिल) के सूत्र पर आधारित है जिसकी बदौलत इन्दौर शहर ने ‘स्वच्छ सर्वेक्षण’ में लगातार पॉंच सालों से देश का सबसे स्वच्छ शहर होने का गौरव हांसिल किया हुआ है।