ऐसी सरहद पर बारूद उड़ी
रह गयी सुहागन द्वार खड़ी।
दो माताओं ने सोते अपने लाल जगाए
भारत माँ की रक्षा हित, बेटा जान की बाज़ी लगाए
एक माँ ने अपना कर्तव्य धर्म निभाया
दूजी ने बेटा अपना बलि चढ़ाया।
एक पुजारिन अपने ईष्ट की, राह देखे खड़ी खड़ी
संदेशा आया सरहद से, बड़ी भयानक जंग छिड़ी
एक सुहागिन की माथे की बिंदिया खिसक गयी
दूजी माँ पथरायी आँखो से, द्रश्य देखकर सहम गयी।
पिता की आँखो मे ही आँसू सूख गए
भाई अपना दर्द छुपा सिने मे बैठ गए
गर्व किया यारों ने और गौरव गाथा गाए
वतन पे मिटने वाले शहीद अमर कहे जाए।
एक बहन अपने भाई की आस देखे खड़ी-खड़ी
रेशम का धागा हाथों मे वह लिये खड़ी
उसकी आँखो से आँसु की धार बह रही
अपने भाई का दुःख ना वह सह पा रही।
सपने सजाए थे ज़ो परिवार ने सारे बिखर गए
बिलख उठे, क्यों हमसे अपने रूठ गए
दामन से लिपटे अपने खून के रिश्ते छूट गए
और सारे सपने एक ही पल मे टूट गए।
अर्चना सिंह
ग्रेटर नॉएडा
(उत्तर प्रदेश) 8800721234