पतियों के पिटने की बात ही चली थी कि भोपाल वालों का नाम दूसरे नंबर पर देखा और हंसी-हंसी में आपसी लोगों को क्या बताया कि हमीं निशाने पर आ गये। आखिरकार हम भी तो हैं भोपाल वाले, लोगों ने हमसे पूंछा कितना पीटा लाला को। हम मन ही मन मुस्का दिए और पतिदेव को गुस्सा दिला दिए बोले क्यों भेजा ये सबको, मेरे दोस्त मुझे चिढ़ाते हैं मेरे रोज पिटने का अनुमान लगाते हैं। मेरी कार दुर्घटना की चोटों को तुम्हारी ही मार बताते हैं।
यह सुन मुझे जोरों से हंसी आयी क्योंकि मुझसे भी ऐसे ही सवालों के जबाब पूंछे जा रहे थे और हंसी का पात्र बना रहे थे।
ना जाने कितनी पत्नियों ने पति को धुना कि खोजकर्ताओं ने मध्यप्रदेश को चुना कि यहां के पति दिन रात मार खाते हैं और पुलिस स्टेशन जाकर आपबीती सुनाते हैं।
मैंने अपने पति को पास बैठाया और उनको पतियों के मार खाने के कारणों को गिनवाया। कुछ शराब के नशे में धुत आते होगें और बेलन- चिमटे से मार खाते होगें। कुछ आधी रात को फुनयाते होगें, जूते चप्पल खाते होगें। कुछ लड़कियां घुमाते होगें बदले में बाल नुचवाते होगें। जरूरी नहीं कि कमियों वाले ही पिटते होगें कुछ सच्चे मानुष भी कुटते होगें जो बीवी की ना सुनते होगें।”
पतिदेव तम-तमाकर बोले जैसे बातों से हमने उनको पीटा हो, क्या पत्नियां सीधी सादी होती हैं?
मैंने कहा नहीं बिल्कुल भी नहीं, जिन पत्नियों ने पतियों को पीट पीटकर भोपाल को अव्वल दर्जा दिलाया, कुश्ती या बॉक्सिंग में होती तो भारत को मेडल जरूर दिलाती।’
मेरी बात सुन पतिदेव थोड़ा मुस्कुराये बोले भगवान अच्छा हुआ मेरी पत्नी उनमें नहीं जो हिंसा का साथ निभाये। मैंने कहा- जब तक ऐसे ही रहोगे, बिना सुताई के जीवन जिओगे।
अब तो फुर्सत बैठकर यही सोचते हैं कि ना जाने मध्यप्रदेश कौन से काम में फिर अव्वल आ जाये और भोपाल एक नया रिकॉर्ड बनाये।
पतिदेव बोले कि चलो नए साल का जश्न मनाते हैं और एक प्रण लेते हैं। ना तुम मुझे पीटना कभी, ना मैं तुम्हें मारूंगा। तुम मुझे खूब सुना लेना मैं सुन लूंगा पर चंडी अवतार नहीं झेलूँगा।
उनकी बात सुन मुझे फिर हंसी आ गयी, मैंने कहा घबराइए नहीं चैन से रहिये आपका ही घर है, हमें जब आप पर गुस्सा आएगा तो बर्तनों पर निकालेंगे, आपके हाथ पैर समझकर बर्तनों को तोड़ डालेगें।
जयति जैन “नूतन”, भोपाल
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