तुम हमेशा विवादों में रहे हो
आलोचकों के निशाने पर रहे हो
आज भी रहते हो
शायद आगे भी रहोगे
अब तुमसे यह तो पूछ नहीं सकता
कि तुम्हारा तर्क क्या है
तुम्हे अपनी सफाई में क्या कहना है
वैसे समझता हूँ विवादों की वजह
पिछले कुछ सालों में खूब पढ़ा है तुम्हे
थोड़ा बहुत समझा भी है तुम्हे
अहिंसा के अग्रदूत थे तुम
हिंसात्मक इतिहास को तुमने अहिंसा में बदला था
अहिंसा को जीने का मार्ग बताया था
मानवता के महानायक थे तुम
पीड़ितों के आवाज़ थे तुम
आजादी के तरानों के साज थे तुम
इस मुल्क कौ आजादी दिलाने में तुम्हारा कितना योगदान था
यह चर्चा का विषय हो सकता है
पर अहम सवाल यह है
क्या तुम्हे सिरे से नकारा जा सकता है?
क्या तुम्हारे विचारों को भुलाया जा सकता है
क्या तुम्हारे प्रयासों पर
प्रश्न चिन्ह लगाया जा सकता है?
बेशक उत्तर ना में ही मिलेगा
आज तुम्हारी शहादत के कई साल हो गए
पर हर साल उठता है एक सवाल
आज तुम्हारी प्रासांगिकता का !
आज तुम्हारी महानता का!
उत्तर सालों से एक ही रहा है
शायद आगे भी एक ही रहेगा
आज हमने जान लिया है
तुम्हारा आर्थिक दर्शन स्थिर नहीं
बल्कि सौ फीसदी जीवन्त है
प्रकृति हमें संतुष्ट कर सकती है
पर हमारे लालच को बेशक़ नहीं
तुम्हारे विचार भले ही पुराने पड़ गये हों
पर उनमें निहित अर्थ आज भी
उतने ही नये हैं जितने कल थे
तुम्हारी प्रासांगिकता आज भी है
कल भी रहेगी/परसों भी रहेगी
बापू तुम अपरिहार्य थे
और सदियों तक रहोगे
राजेश कुमार सिन्हा
बान्द्रा(वेस्ट),मुम्बई-50