दोहे

 शब्द शब्द में चेतना,शब्द शब्द में सार।

शब्द शब्द साकार है,शब्द शब्द विस्तार।

ये मोहन ये मोहिनी,ये निर्मोही पीव।

ये चेतन है चेतना,शब्द नहीं निर्जीव।।

शब्दों से जिसने किया,किसी पर गर प्रहार।

युगों युगों तक हो गयी,खड़ी वहीं दीवार।।

एक नाम ओंकार है,ये है अनहद नाद।

शब्द कीमिया गर मिले,मिटें सभी अवसाद।।

शब्दों से ही प्रीत है,शब्दों से हो बैर।

शब्द कटारी गर चलें,मालिक रखें खैर।।

रसना पर हर शब्द को,रखना सोच विचार।

शब्दों से पहचान हो,सज्जन मूढ़ गंवार।

सबसे बोलो प्रेम से,रक्खो नहीं दुराव।

शब्द कटारी का नहीं,भरे कभी भी घाव।।

 चुभ जाते हैं हृदय में,देते हैं झकझोर।

हँसी हँसी में भी अगर,बोले शब्द कठोर।।

सत्यवान सत्य

मुबारिकपुरझज्जर

हरियाणा–124109