छोटी सी बात पर भी, मचे खूब बवाल
कोई भी ना जानता, एक दूजे का हाल
बनाया राजनीति को, नेता ने व्यापार
आमजन इसलिए रहा, देख यहाँ लाचार
शत्रुता की करता खड़ी, रमेश जो दीवार
करना चाहिए आपको, उनका बहिष्कार
नेताजी तो खेलते, कई तरह के खेल
कुर्सी हेतु वे करते, गठबंधन बेमेल
हारे नेता सब यहाँ, रहते हैं बेचैन
डूबे रहते हैं सभी, गम से उनके नैन
नेता जितने भी यहाँ, आते हैं श्रीमान
स्वयं के काले धन से, करवाते सम्मान
काला धन पास जिसके, रहता है अपार
इसी पैसों से एक दिन, खायेगा वो मार
शहर में रहकर जब वो, वापस आया गाँव
मिली नहीं उसको वहाँ, पहले वाली छाँव
चूल्हा भी खामोश हैं, देखा मैंने आज
खतम हुआ घर में सभी, रमेश वहाँ अनाज
सच्ची बात उसे कहीं, आई कभी न रास
झूठ लगता है उसको, सदैव ही मधुमास
रमेश मनोहरा
शीतला माता गली जावरा (म.प्र.)
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