गीत 

झीनी बदरी सा घूँघट है ,

आभा छन छन बाहर आई !

मुखचंद्र करे है दप दप यों ,

फिर आज चाँदनी मुस्काई !!

रजनी आतुर है स्वागत को ,

दामन में गंध लिये बैठी !

है मदिराई सी पवन लगे  ,

जो कल तक थी ऐंठी ऐंठी !

पल पल उतावले लगते हैं ,

यह घड़ी रास जो है आई !!

 उल्लास जगा थिरकन दौड़ी ,

हो खुशी बावरी आज ठगे !

थिरकी आज उमंगें ऐसी 

सोये सोये से भाव जगे !

जो घटित अभी होने को है ,

वह सोच लहरती तरुणाई !!

कुछ खोलो पट , कुछ अधर धरो ,

अब धीरज धरा नहीं जाता !

सँवरा सँवरा जो लगता है ,

वह रूप बिखेरो मदमाता !

मनभावन सी ऋतु लागे है ,

इच्छाएं सब हैं मदमाई !!

कुछ रचना हो अनुबंधों की ,

कुछ सपनों को साकार करें !

मधुरिम श्वासों का गठबंधन ,

मीठी मीठी मनुहार धरें !

इक नई इबारत लिखने को ,

मन की भाषा है अकुलाई !!

बृज व्यास

शाजापुर ( मध्यप्रदेश )

9525428598