मैकल की बेटी की जय बोलिए

रेवा अर्चना से पवित्र होइए,

मैकल  की बेटी की जय बोलिए।

अमरकंटक से जन्म ले मचलने लगी।

वो मानव के कंटक सब बीनने लगी।

ऋषि सब अमर हुए सुख के ढेर धाम हैं,

चलते चलते आभा से दमकने लगी।

संकट निवारिणी की जय बोलिए —-

संगमरमरी देह की बन गई रानी।

भेड़ाघाट धुँआधार  की नहीं सानी।

मंडला होशंगाबाद शहर सज गए,

रेवा तटे अनगिनत भक्त हुए ज्ञानी।

ओंकार ममलेश्वर की जय बोलिए —

महेश्वर में अहिल्या के घाट सुहाने।

सहस्त्र धारा यहीं  केश सजे सुहाने।

मंडलेश्वर मंडन मिश्र गाथा कहता,

धरमपुरी बेट के खरे घाट  मुहाने।

आवली मोहिपुरा फाँस खोलिए —-

राजघाट बड़वानी सुन्दर बहुत बना

धरमराय धर्म से है, भरा भरा सना।

हिरण्याक्ष तपस्याभू का यहीं जलाल,

लोग कहें हिरणफाल जंगल यहाँ घना।

शूलपाणेश्वर के भाव तोलिए —-

चांदोद में शांकरी पौढ़ा हो जाती।

अटठाइस किलोमीटर मांग बन जाती।

खंभात की खाड़ी  है संगम ठिकाना –

मचलती उछलती शोण शांत हो जाती।

संगम के जल से पवित्र होइए —-

ईश्वर परिक्रमा कई बार कई सबने।

अमरकँटक परिकमा कूर्म पुराण कहने।

एरंड तीर्थ परकमा भू परकमा हुई,

मत्स्य पुराण के ये शब्द खुद हैं गहने।

एक मात्र नदी परकमा सोचिए —-

कनखल में कहते हैं गंगा पवित्र है।

सरसुती कुरुक्षेत्र में होती फलित्र है।

मैकलसुता की बात कुछ और ‘हितैषी’-

सर्वत्र नर्मदा से पाप दलित्र है।

नर्मदा का नीर हो स्वच्छ सोचिए,

मैकल की बेटी की जय बोलिए।

      प्रबोध मिश्र ‘ हितैषी ‘

   बड़वानी  (म. प्र.)451551

         मो.94259-81988