कुछ पल प्रेम के

कुछ पल प्रेम के, प्रिय को दे दो

कुछ मन की तुम, कह लो, सुन लो।

फिसले पल जो, रेत के जैसे,

कस के मुट्ठी में, पल भर लो।

 बीता लो ये पल, हो के पुराना।

 जिसका बुना था, कल ताना-बाना।

 फिर आज, कल की, चर्चा न छेड़ो,

 बस आज का पल ही, सबसे सुहाना।

 प्यार की स्याही से,इस पर मुहर दो।

  कस के मुट्ठी में, पल भर लो।

  कुछ पल…….

 जीवन-यापन में बीता जमाना।

 कैसे  भर जाये मेरा खजाना।

 इसमें भला क्यों, मन है लगाना ,

 जिसकी खनखन का, न है ठिकाना।

 पैरों की रुनझुन, तुम अब सुन लो।

 कस के मुट्ठी में,  पल भर लो।

  कुछ पल ……

अनमोल पल है बहुमूल्य गहना।

 इसकी चमक तो फीकी पड़े ना।

 मन की बगिया के ये ही सुमन हैं,

 जिसकी महक तो फीकी पड़े ना। 

ऐसे ही पल को, जीवन में भर दो।

कस के मुट्ठी में, पल भर लो।

 कुछ पल प्रेम के, प्रिय को दे दो।

 कुछ मन की तुम, कह लो, सुन लो।

शिप्रा सैनी(मौर्या)

जमशेदपुर