मेकलसुता, शांकरी , रेवा,मैय्या तुम विभुनन्दिनी हो
प्रमुदित गाता है जनमन, नर्मदा जीवनदायिनी हो ।
अमरकंटक जन्मस्थली , सरोवर मध्ये शिवलिंगी हो
चट्टानों से अठखेली करतीं,धुआंधार जल रश्मी हो
बंदरकूदनी,माहिष्मती,बहुरूपी कलयुगी तारिणी हो
प्रमुदित गाता है जनमन…..
तवा कुंदी हथनी दूधी , सब मिल पावनी कहलातीं
ओंकारेश्वर ममलेश्वर,नेमावर ,महेश्वर तीर्थ बसातीं
कपिलधारा शुक्लतीर्थ, मान्धाता ,शूलपाणिनी हो
प्रमुदित गाता है जनमन…..
जीवनरेखा मध्यप्रदेश की, गुजरात की सुखरासी हो
कोटि जन की अधर संतुष्टि,जिव्हा प्यास बुझाती हो
फसलों की तुम मुस्कान,मुस्कानों की नवकारिणी हो
प्रमुदित गाता है जनमन……
सैकड़ों मील वनभ्रमण ,भडूच निकट सागर मिलतीं
बंधकर बांधों के बंधन, सदा प्रकृति का हित करतीं
वेद पुराण शास्त्र सम्मत, कलिकाले भव हारिणी हो
प्रमुदित गाता है जनमन…..
-गायत्री प्रसाद शुक्ला
98268 12005