मेरी माँ 

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हर मर्ज की दवा है 

माँ के पास

डांट और फटकार है

असीम प्यार भी है 

माँ के पास

 वह ममता का सागर है

हमारे आँसू देख कर 

अपने आँसू भुला देती है 

हर गलती माफ कर

गले लगा लेती है माँ

अपनी हर खुशी 

बच्चों पर लुटा देती है 

हर तकलीफ में 

याद आती है माँ

संघर्ष में तपते जीवन की 

शीतल छाया है माँ

कठोर दुनिया में

मखमली एहसास है माँ

सबसे पहला रिश्ता है माँ 

सब रिश्ते शुरु करती है

निभाना भी सिखाती माँ

झुक जाए भगवान भी

जिन के आगे वो है माँ!!

●योगिता जोशी ‘अनुप्रिया’

झोटवाड़ा, जयपुर -302012