मुस्लिम उलेमाओ ने विधायक मसूद के साथ मुख्य सचिव को सौपां ज्ञापन

भोपाल । खरगोन मे हुई हिंसा ओर उसके बाद सरकार द्वारा मुस्लिमो के खिलाफ की जा रही कार्यवही को लेकर मुस्लिम समुदाय मे सरकार के खिलाफ काफी नाराजगी है। इसे लेकर मुस्लिम उलेमा सरकार ओर आला नेताओ तक अपनी आपत्ति दर्ज करा चुके है। इसी कडी मे मुस्लिम उलेमाओ ने विधायक आरिफ मसूद के साथ मिलकर मुख्य सचिव को ज्ञापन सौपते हुए उचित कार्यवाही की मांग की है। अपने ज्ञापन मे उलेमाओ ने कहा है कि खरगौन मे हिसां के बाद बीते कई दिनो से लापता इब्रीस खान का शव आज बरामद हुआ है, उनकी मांग है कि उसके शव के पीएम की विडियोग्राफी कराई जाये और दोषी लोगों पर प्रकरण दर्ज कर उन्हे गिरफ्तार किया जाए। वही अपने पत्र के जरिये उलेमाओ ने मध्यप्रदेश के खरगोन जिले ओर आसपास के अन्य जिलों में हाल ही में हुई घटनाओ के कुछ मुख्य बिन्दूओं पर ध्यान दिलाया हैं। पत्र मे कहा गया है कि एक व्यक्ति जो पूवे से ही पुलिस अभिरक्षा में है, उन पर पत्थरबाजी का आरोप लगाकर उनके घर को बुलडोजर से गिरा दिया गया है। लगभग 200 बेकसूर लोगों को गिरफ्तार किया गया उनमें से कईं लोगो की हड्डी फ्रेक्चर हैं। जिन्हे घटना के 4-5 दिन बाद जेलों में भेजा गया हैं, इसकी जॉच होनी चाहिये की इन लोगो की हड्डी में फ्रेक्चर कैसे आए यदि दंगाईयों ने तोड़ी हैं, तो उनके विरूद्ध कार्यवाही हो और उनके तत्काल मेडिकल कराए जाएं ओर यदि पुलिस के द्वारा मारपीट से उनकी हड्डीयों में फ्रेक्चर आए हैं, तो पुलिस के विरूद्ध कार्यवाही की जाए। वही यह भी मांग की गई है कि उपद्रव के दौरान जो मुसलमानों के मकान जलाए गए हैं, उन उपद्रवीयों के फोटोग्राफ मौजूद हैं, उन्होने नारे लगाते हुए झण्डा फेहराते हुए पत्थर बरसाये ओर घरों, दुकानों में आग लगाई है, उनको चिन्हित कर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये और जिन के मकान जलें हैं, उनको मुआवजा दिया जाए। ज्ञापन मे कहा गया है कि इसी तरह एक व्यक्ति जो कि घटना के समय ट्रक लेकर महाराष्ट्र गए हुए थे, तथा कईं सालो पहले मर चुके व्यक्ति का नाम भी पुलिस ने दंगाईयों के विरूद्ध की गई एफआइआर में आरोपियों के साथ जोड़ दिया है। इससे पुलिस की संपूर्ण कार्यवाही पर ही प्रश्न चिन्ह लगता है, ओर ऐसा प्रतीत होता है, कि पुलिस ने राजनैतिक दबाव के चलते नेताओं से मिली सूची के आधार पर एफआइआर में नाम लिख दिए हैं, ना कि घटना के वास्तविक आरोपियों की पहचान कर नाम लिखे गए हैं। इसकी जॉच की जानी चाहिये। उनका कहना है कि जिस तरह खरगोन की घटना के बाद से प्रशासन एक तरफा कार्यवाही करा रहा है, उससे लगता है कि मध्यप्रदेश के शासन प्रशासन पर बैठे हुए अधिकारीयों का अदालतो से भरोसा उठ गया है, इसीलिए शायद वह न्यायालयों के फैसले के आने का इंतेज़ार नहीं कर रहे हैं। उलेमाओ ने यह भी आग्रह किया की शांति समिति की बैठक की जाकर जल्द कर्फ्यू बहाली के प्रयास किये जाएं जिससे आमजनो की परेशानियो को दूर किया जा सके ओर उकने ज्ञापन के सभी बिन्दूओं की जॉच के लिए एक हाई पावर कमेटी गठित कर स्वयं की निगरानी में जॉच कराएं एवं तत्काल निर्दाषों पर की जा रही कार्यवाही को रोकें।