गलत आदतों और प्रदूषण से बच्चों में बढ़ रहा अस्थमा

अस्थमा होने का 40 प्रतिशत तक कारण है मोटापा
भोपाल । मोटापा, डिब्बाबंद चीजों के खाने-पीने, प्रदूषण के चलते बच्चों में अस्थमा के मामले बढ़ रहे हैं। करीब 10 साल में इसके मामले दोगुने हो गए हैं। यह आंकड़ा सरकारी अस्पतालों की ओपीडी और निजी अस्पतालों की क्लीनिक में आने वाले मरीजों का है। मोटापा के असर से श्वास नली में भी दबाव पड़ता है। इसके अलावा मोटे होने पर शरीर का लिपिड जैसे कोलेस्ट्राल और हार्मोन भी असंतुलित हो जाते हैं। इस कारण फेफड़े की क्षमता भी प्रभावित होती है, जिससे अस्थमा होता है। तीन मई को विश्व अस्थमा दिवस के संदर्भ में शहर के छाती व श्वास रोग विशेषज्ञ और शिशु रोग विशेषज्ञों से बात की तो यह जानकारी सामने आई। हमीदिया अस्पताल के शिशु रोग विभाग के सह प्राध्यापक डा. राजेश टिक्कस ने बताया कि ओपीडी में 10 साल पहले अस्थमा के जितने मामले आते थे अब उससे दोगुने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की वजह से बच्चों का खेलकूद भी प्रभावित हुआ हैं। इस कारण मोटापा भी बढ़ा है, जिससे अस्थाम के मामले भी ज्यादा हो गए हैं। हमीदिया अस्पताल के छाती व श्वास रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. लोकेन्द्र दवे ने कहा कि भोपाल में महिलाओं में अस्थमा के 60 प्रतिशत मामलों की वजह काकरोच और धूल में पाए जाने वाले कीटाणु (माइट) हैं। तीन साल पहले हमीदिया अस्पताल में हुए अध्ययन में यह साबित हो चुका है। भोपाल में काकरोच बहुत हैं। इनके पंख, पैर और मल से एलर्जी होती है जो अस्थमा की बड़ी वजह है। इसी तरह से पुरुषों में अस्थमा का कारण प्रदूषण, खान-पान में बदलाव और दफ्तरों में एसी में बंद कमरों में रहना है। उन्होंने बताया कि बड़ों में करीब 20 साल पहले सामान्य आबादी में दो से तीन प्रतिशत लोग अस्थमा पीड़ित मिलते थे। अब यह आंकड़ा छह से सात प्रतिशत और बच्चों में करीब 15 प्रतिशत है। हालांकि, बच्चों का अस्थमा जल्दी पहचान में नहीं आता। इस कारण यह आंकड़ा ज्यादा लगता है।डाक्टरों के अनुसार, बच्चे स्वास्थ्यवर्धक चीजें खाएं। डिब्बा बंद चीजों के उपयोग से बचें। प्रदूषण से दूर रहें। धूल और प्रदूषण से बचने के लिए मास्क लगाएं। नियमित तौर पर व्यायाम करें, जिससे मोटाप नहीं बढ़ने पाए। ज्यादा ठंडी में गर्म या गर्मी में ज्यादा ठंडी चीजें नहीं खाएं। अस्थमा का पहले से इलाज ले रहे हैं तो दवाएं बंद नहीं करें। घर हवादार और प्रकाशदार होने चाहिए। एसी और कूलर की नियमित सफाई करें। जिनके परिवार में किसी को अस्थमा है वह विशेष तौर पर सतर्क रहें। एलर्जी की वजह से श्वास नली में सूजन हो जाती है। इस कारण यह धीरे-धीरे जकड़ने लगती है, जिससे पर्याप्त आक्सीजन फेफड़े में नहीं पहुंचती। लंबे समय तक अस्थमा रहने से फेफड़े भी खराब होने लगते हैं। बच्चों में अस्थमा के मामले डिब्बाबंद चीजों के उपयोग,प्रदूषण व अन्य कारणों से 10 साल में दोगुने हो गए।