थानेदार दुर्भाग्य की
जंजीरों में जकड़ा गया
अपने ही घर में
अपनी ही पत्नि द्वारा
चोरी करते हुए पकड़ा गया
लेकिन वह
खानदानी अफसर था
उसकी रगों में
भ्रष्टाचार का खून था
बाप दादा की विरासत को
आगे बढ़ाने का जुनून था
उसने जांचा परखा
और विश्वसनीय फॉर्मूला अपनाया
पत्नि के हाथ में चुपचाप
पांच सौ का नोट थमाया
पत्नि नेताओं के परिवार से थी
उसे अपने खानदान की
लाज बचानी थी
मां बाप की नाक नही कटवानी थी
बोली
तुम्हे हमारे स्टैंडर्ड का
जरा भी भान नहीं है
छोटी मोटी रकम रिश्वत कहलाती है
इतना भी ज्ञान नहीं है
हम रिश्वत को
बिलकुल नहीं, बढ़ावा देंगे
इस बार डायमंड रिंग से ही
काम चला लेंगे।
डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001