इन्दौर । किसानों को कृषि विभाग ने सलाह दी है कि गेहूं फसलों की कटाई का कार्य हो चुका है एवं खेत खाली है, इस परिस्थिति में वे अपने खेतों गहरी जुताई का कार्य कर लेवें। खरीफ की बुआई के खेतों को तैयार कर लेवें। गहरी जुताई कर फसल अवशेषों (नरवाई) को खेत में मिला देने से फसल अवशेष विघटित होकर मिट्टी में मिल जाते है। जीवाणु के माध्यम से हयूमस में बदलकर खेत में पौषक तत्व नत्रजन, फास्फोरस, पोटास, सल्फर तथा कार्बन शत्व की मात्रा को बढ़ा देते हैं।
प्रत्येक वर्ष एक जैसी फसल उगाने से भूमि की ऊपरी सतह से पौषक तत्वों की मात्रा कम हो जाती है। गहरी जुताई करने से नीचे की मिट्टी ऊपर और ऊपर की मिट्टी नीचे पलट दी जाती है। जिससे नीचे की मिट्टी ऊपर आने से नीचे छुपे हुये पोषक तत्व मिट्टी के साथ ऊपर आकर पौधों के लिये लाभदायक होते है। भूमि की गहरी जुताई करने से मिट्टी में वायु संचार बढ़ जाता है, स्थावकाश की मात्रा बढ़ जाती है और जल धारण क्षमता बढ़ जाती है। मिट्टी का सूर्यतापीकरण होने से हानिकारक कीट बीमारी के जीवाणु फंगस आदि नष्ट हो जाते है। किसानों को सलाह दी गई है कि नरवाई को रोटावेटर व कृषि यंत्रों के माध्यम से जुताई कर खेत में मिला दें। फसल अवशेष पर वेस्ट डीकम्पोजर या बायो डायजेस्टर के तैयार घोल का छिड़काव करें। इस प्रकार अवशेष खेतो में विघटित होकर मिट्टी में मिल जायेगे और जीवाणु के माध्यम से ह्यूमस में बदलकर खेत में पोषक तत्व की मात्रा बढ़ जायेगी।