इन्दौर । साइबर बुलिंग एक ऐसा अपराध है जो आजकल डिजिटल दुनिया में किसी के भी साथ हो सकता है। लेकिन साइबर क्राइम एवं सुरक्षा के बारे में जानकारी के अभाव के कारण इसकी चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे आ रहे हैं। बुलिंग करने वाला व्यक्ति आपका रिश्तेदार, दोस्त या कोई अज्ञात व्यक्ति भी हो सकता है। साइबर बुलिंग एक तरह से इंटरनेट के माध्यम से होने वाली रेगिंग है। इसमें किसी को धमकाना, उसके खिलाफ अफवाह फैलाना, घृणित प्रचार करना, फोटो से छेड़छाड़ कर उसका गलत प्रयोग करना, भद्दे कमेंट करना, अश्लील एवं अनुचित भाषा का प्रयोग करना शामिल है। ऑनलाइन गेम में फंसाकर, डरा-धमकाकर रुपए मांगना भी बुलिंग का ही एक तरीका है। इन सबसे विचलित होकर कई लोग एवं बच्चे आत्महत्या तक कर लेते हैं। साइबर स्टॉकिंग की शिकार ज्यादातर महिलाएं होती है। यदि किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा उन्हें बार-बार अनावश्यक रूप से फोन, ई-मेल, सोशल मीडिया एवं चेट रूम के माध्यम से परेशान किया जाता है तो उन्हें तुरंत रिपोर्ट करनी चाहिए या अपने विश्वसनीय व्यक्ति को इसकी जानकारी देना चाहिए।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ. वरूण कपूर ने इंडिया प्लास्ट पेक फोरम के तत्वावधान में ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर के जामवर हॉल में आयोजित साइबर क्राइम एवं साइबर सुरक्षा विषय पर आधारित कार्यशाला में ऐसी अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। इस विषय पर यह 539वीं कार्यशाला थी, जिसमें 125 से अधिक उद्योगपति शामिल हुए। डॉ. कपूर ने उद्योगपतियों द्वारा पूछे गए सवालों एवं अन्य जिज्ञासाओं का भी संतोषप्रद समाधान किया। प्रारंभ में इंडियन प्लास्ट पैक फोरम के अध्यक्ष सचिन बंसल, सचिव रामकिशोर राठी, उद्योगपति हितेश मेहता, पूर्व अध्यक्ष ब्रजेश गांधी, जाहिद शाह, प्रेम नागौरी, प्रवीण गुप्ता, आरआर कैट के वैज्ञानिक अनुराग बंसल सहित अनेक प्रमुख नागरिक भी उपस्थित थे, जिन्होंने डॉ. वरुण कपूर का स्वागत किया। स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रवीण गुप्ता, प्रेम नागौरी एवं जाहिद शाह ने भेंट किए। संचालन किया पूर्व अध्यक्ष ब्रजेश गांधी ने।
डॉ. कपूर ने कहा कि साइबर अपराध बढ़ने का प्रमुख कारण सुरक्षा के मापदंड नहीं अपनाना और नियमों की जानकारी न होना अथवा असली दुनिया के मापदंड वर्चुअल वर्ल्ड में भी अपनाना है। आज का युग इन्फरमेशन का युग है, जिसके पास जितनी ज्यादा इन्फरमेशन होगी, वह उतना ही सशक्त होगा। आजकल अपराधी भी हमारी सोशल मीडिया पर शेयर की गई जानकारी का उपयोग कर साइबर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। इस वर्चुअल दुनिया में अपनी सुरक्षा का ध्यान खुद हमें ही रखना होगा। सोशल नेटवर्किंग एवं कम्युनिकेशन में अंतर बताते हुए उन्होंने कहा कि अपने बारे में हमें कितनी इन्फरमेशन कब, कैसे और कहां शेयर करना है, करना भी है या नहीं और किसी पोस्ट को लाइक, शेयर एवं फारवर्ड करने के बारे में सचेत रहने की आवश्यकता है। फिशिंग अटैक के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए डॉ. कपूर ने कहा कि फिशिंग से बचाव हेतु अनजान लिंक पर क्लीक न करें एवं यूआरएल चेक कर लें, क्योंकि फेक या कॉपी वेबसाइट की स्पेलिंग गलत या अजीब सी होती है। साइबर अपराधी फैक वेबसाइट या ई-मेल के माध्यम से आपका पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड एवं अन्य विवरण धोखे से चुरा लेते हैं और उसका गलत प्रयोग करते हैं अतः बैंक संबंधी गतिविधि के समय इन बातों का ध्यान रखें और समुचित जांच पड़ताल करने के बाद ही किसी लिंक को खोलें। किसी लिंक या साफ्टवेयर, मेल या अप्लीकेशन के कोई भी वायरस हमारे पास भेज सकता है। इन सबसे बचने के लिए सतर्कता हमें ही रखना होगी। डिजिटल फुट प्रिंट कभी खत्म नहीं होते हैं इसलिए कोई भी गतिविधि साइबर वर्ल्ड में करने के पूर्व सोच-समझकर करें, क्योंकि साइबर वर्ल्ड के किसी भी अपराध को डिजिटल फुट प्रिटं के माध्यम से आसानी से पकड़ा जा सकता है। डिजिटल वर्ल्ड और मीडिया में काम करने के पहले सोचें, समझे और फिर करें। आपस में एक-दूसरे से अश्लील एवं भद्दे जोक्स शेयर न करें और चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेट को न तो ओपन करें और न ही डाउनलोड करें। किसी के द्वारा भी भेजे गए ऐसे कंटेंट को देखना भी अपराध है। यह आईटी एक्ट की धारा 67-बी के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।
डॉ. कपूर ने उपस्थित उद्योगपतियों से आग्रह किया कि वे इस मामले में किसी पर भी अंधा विश्वास नहीं करें और सुरक्षा के मानदंडों को अपनाते हुए साइबर स्पेस का उपयोग करें। शार्टकट एवं प्रलोभन में न फंसे। आज पूरा विश्व मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से आपस में एक हो गया है। इसलिए अपने पासवर्ड को हर प्लेटफार्म पर बार-बार रिपीट न करें, इसे समय-समय पर बदलते रहें। साइबर बुलिंग, साइबर स्टाकिंग, फिशिंग, साइबर ग्रुमिंग एवं गेमिंग साइबर से जुड़े वे अपराध हैं जिनके बारे में हमें जानकारी होना आवश्यक है। आधुनिक टेक्नालाजी का इस्तेमाल सुरक्षित ढंग से करते हुए उनका उपयोग अपने लाभ के लिए करें, न कि दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए। युवा सोच समझकर फेसबुक पर दोस्त बनाएं। इलेक्ट्रानिक डिवाइस का उपयोग करते समय हमेशा अपने दिमाग में सुरक्षा की बातों को बनाएं रखें। ब्लू व्हेल महज एक गेम नहीं, बल्कि एक चैलेंज था, लेकिन कई बच्चे एवं पालक इसके खतरे को भांप नहीं पाए और अनहोनी का शिकार हो गए। पालकों को अपने बच्चों के द्वारा इंटरनेट पर देखी जा रही सामग्री एवं गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखना चाहिए। सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी बहुत आसानी से बनाई जा सकती है इसलिए अगर आपका कोई परिचित भी आपको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज रहा है तो उसकी पूरी जांच पड़ताल करने के बाद ही उसे स्वीकार करें।