नई दिल्ली । तेल,गैस और दैनिक उपभोग की वस्तुओं की कीमत में लगातार इजाफे से त्रस्त देश की जनता को डीजल-पेट्रोल से राहत की आस नजर आ रही है। महंगाई की मार झेल रहे लोगों को आने वाले दिनों में डीजल और पेट्रोल की कीमत में रियायत मिलेगी। ऐसा इसलिए कि तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक प्लस) और रूस समेत अन्य सहयोगी देश कच्चे तेल की उत्पादन सीमा को बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं। इससे वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम में गिरावट आएगी और देश में भी तेल सस्ता हो जाएगा। ओपेक और सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) ने महामारी के दौरान अपने कुल उत्पादन में भारी कटौती की थी। मगर अब नए फैसले से कोरोना के दौरान की गई कटौती को तेजी से बहाल करने में मदद मिलेगी। ओपेक मौजूदा समय में प्रति दिन 4,32,000 बैरल कच्चे तेल का उत्पादन कर रहा है। हालांकि अब इस सीमा को जुलाई से बढ़ाकर 6,48,000 बैरल प्रतिदिन करने का फैसला ओपेक प्लस द्वारा लिया गया है। यह फैसला ऐसे समय किया गया है जब कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण अमेरिका में पेट्रोल का दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत में इस साल की शुरुआत से अब तक 54 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। तेल,गैस और दैनिक उपभोग की वस्तुओं की कीमत में लगातार इजाफे से त्रस्त देश की जनता को डीजल-पेट्रोल से राहत की आस नजर आ रही है। महंगाई की मार झेल रहे लोगों को आने वाले दिनों में डीजल और पेट्रोल की कीमत में रियायत मिलेगी। ऐसा इसलिए कि तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक प्लस) और रूस समेत अन्य सहयोगी देश कच्चे तेल की उत्पादन सीमा को बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं। इससे वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम में गिरावट आएगी और देश में भी तेल सस्ता हो जाएगा। ओपेक और सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) ने महामारी के दौरान अपने कुल उत्पादन में भारी कटौती की थी। मगर अब नए फैसले से कोरोना के दौरान की गई कटौती को तेजी से बहाल करने में मदद मिलेगी। ओपेक मौजूदा समय में प्रति दिन 4,32,000 बैरल कच्चे तेल का उत्पादन कर रहा है। हालांकि अब इस सीमा को जुलाई से बढ़ाकर 6,48,000 बैरल प्रतिदिन करने का फैसला ओपेक प्लस द्वारा लिया गया है। यह फैसला ऐसे समय किया गया है जब कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण अमेरिका में पेट्रोल का दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत में इस साल की शुरुआत से अब तक 54 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह ओपेक के सदस्य देशों और 10 प्रमुख गैर-ओपेक तेल निर्यातक देशों (अज़रबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कज़ाखस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, रूस, दक्षिण सूडान और सूडान) का गठबंधन हैं। ओपेक के कुल 14 देश (ईरान, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अल्जीरिया, लीबिया, नाइजीरिया, गैबॉन, इक्वेटोरियल गिनी, कांगो गणराज्य, अंगोला, इक्वाडोर और वेनेजुएला) सदस्य हैं। ओपेक प्लस का मकसद दुनियाभर में तेल की आपूर्ति और उसकी कीमतें निर्धारित करना है। हर महीने विएना में ओपेक प्लस देशों की बैठक होती है। इसी बैठक में यह तय होता है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कितने कच्चे तेल की आपूर्ति करनी है।