हम है !

दुनिया का रंग और हम है,

ये ख्वाबों ख्यालों की दुनिया,

मैं इक धूप का टुकड़ा ,

तकाबुल आईना और हम है ।

मुक्कमल जहां नही मिलता,

हर किसीको इस दुनिया में,

हर रोज़ एक नया तुफान ,

पर्दा ए-साहिल और हम है ।

उल्फत ना मुरव्वत किसी में,

सिर से पैर तक थर्राई है,

ये प्यार की मोहताज दुनिया,

इश्क चाक पर और हम है।

इक सांस के धागे पे दुनिया,

हर नए मोड़ पर ढूंढा ,

दरिया में दरिया हुई दुनिया

सैलाब -ए मोती और हम है ।

~ बिजल जगड

मुंबई घाटकोपर