कितनी खूबसूरत है ये रात रूहानी-सी
दिख रहा है ये चांद,आज तेरी सूरत-सी ।
झुक रहा है गगन, हां आब की रवानी-सी
चाहते ऐसी हो,ज्यौं ख्वाब की कहानी सी।
उतर आईं हो जमीं पर कैसे,तू आसमां की
शबाब घुल रहा है,देखो इश्के-हकीकी की।
सजा दूं मांग तेरा जुगनूओं की झिलमिल से
सिमट आएं है सितारे,जहां के तेरे आंचल में।
लिखा है दिल के फलक पर तेरा नाम साथी
मिटा सके ना इसे कोई तूफान और आंधी।
हैरते खो गई है हाय! होश में अब ना रहा
तुम्हारी मदभरी आंखों से पी लिया है सुरा।
दमक रहा है बदन तेरा चांदनी की नूरो से
निशा शबाब में है,देख महताब की आंखों में।
निशा भास्कर
नयी दिल्ली -45.