खुशियाँ याद नहीं गम याद नहीं कर सकते,
कैसा हमदम है जिसे हम भूल नहीं सकते।
महक मुलाकातों की बसी है जहन में मेरे,
इक याद की मौजूदगी है सह नहीं सकते।
फेर लीं अपनो ने भी गैरों की तरह आंखें,
अब गम-ओ-रंज से आजाद हो नहीं सकते।
याद एक जंगल उदासी का ना कोई रास्ता,
कौन छूटा कहाँ छूटा राह जोड़ नहीं सकते।
गुम सूम खड़ी है दोनो जहां की हकीकत,
में उन्हें और वो मुझे कभी भुला नहीं सकते।
~ बिजल जगड
मुंबई घाटकोपर