इन्दौर । भजनों की प्रस्तुति देती महिलाऐं… बैंड-बाजों की स्वर लहरियों पर नाचते-झूमते समग्र जैन समाज के बंधु और मंगल जुलूस में जगह-जगह मार्ग में पूर्णमति माता की अगवानी करते लोग… यह नजारा था रविवार को शहर के सत्यसांई चौराहा क्षेत्र का, जहां 29 साल बाद इन्दौर चातुर्मास पर संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्या सागर महामुनि राज की परम् शिष्या परम पूज्य 105 स्वर कोकिला आर्यिका पूर्णमति माताजी के मंगल प्रवेश जुलूस की समग्र जैन समाज के हजारों लोगों ने अगवानी की। इस भव्य मंगल जुलूस प्रवेश में सभी समाज बंधुओं के साथ-साथ अन्य संगठनों के पदाधिकारी भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। जहां सभी समाज बंधुओं ने अगवानी के पश्चात भव्य मंगल जुलूस भी निकाला।
दिंगबर जैन समाज व दयोदय चेरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने बताया कि 29 साल बाद शहर में चातुर्मास के लिए आज सुबह कई ग्रंथ, कविताएं और विधान लिखने वाली आर्यिका पूर्णमति माताजी ने 8 आर्यिकाओं के साथ सत्यसाईं विद्या विहार से शहर में भव्य मंगल प्रवेश किया। इस दौरान दिगंबर समाज ने भव्य जुलूस सत्यसाईं से कंचनबाग तक निकाला। सड़कों पर रंगोली भी सजाई गई। आर्यिका पूर्णमति माताजी के शहर में चातुर्मास और मंगल प्रवेश को लेकर समाजजनों में बेहद उत्साह नजर आया। अलसुबह से ही समाजजन चौराहे पर जुलूस के लिए जुटे। आचार्य विद्यासागर की शिष्या आर्यिका पूर्णमति माता ने करीब 34 साल पहले से दीक्षा ली थी। आज सुबह उनके शहर में मंगल प्रवेश पर सकल दिगंबर जैन समाज एवं दयोदय चेरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा निकाला गया जुलूस सत्यसाईं चौराहा से प्रारंभ होकर एलआइजी चौराहा, पलासिया चौराहा होते हुए कंचनबाग समवशरण जैन मंदिर पहुंचा। इस दौरान पूरे रास्ते पर जगह-जगह स्वागत मंच भी सजाए गए। पूरे रास्ते पर रांगोली सजाई गई। माताजी ने ससंघ विहार गंजबासौदा से शुरू किया था। करीब 300 किमी का पैदल विहार करते हुए आज सुबह वे इन्दौर पहुंचे।
:: समवशरण मंदिर में उमड़ा भक्तों का जन-सैलाब ::
संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्या सागर महामुनि राज की परम् शिष्या परम पूज्य 105 स्वर कोकिला आर्यिका पूर्णमति माता का मंगल प्रवेश जुलूस सत्यसांई चौराह से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गों से होता हुआ कंचनबाग स्थित समवशरण जैन मंदिर पहुंचा, यहां उनकी अगवानी व प्रवचनों को सुनने हजारों की संख्या में भक्तों का जन-सैलाब उमड़ पड़ा।
:: चातुर्मास जैन शासन का अद्भुत पर्व, यह हमारे मन के मेल को साफ कर आत्मा को शुद्ध बनाता है : आर्यिका पूर्णमति माता
समवशरण जैन मंदिर पर धर्मसभा में आर्यिका पूर्णमति माता ने प्रवचनों की अमृत वर्षा की। आर्यिका पूर्णमति माता ने कहा कि चातुर्मास जैन शासन का अद्भुत पर्व है। इस दौरान प्रकृति अपने यौवन पर होती है। चारों ओर माहौल खुशनुमा और पवन शीतलता लिए होती है। चातुर्मास निर्मल गंगा के समान होता है जो हमारे मन के मेल को साफ कर आत्मा को शुद्ध बनाता है। चातुर्मास सूर्य की रोशनी बनकर हमारे जीवन मे नव प्रकाश प्रकाशित करता है। धर्मसभा में चातुर्मास का महत्व बताते हुए आर्यिका पूर्णमति माता ने कहा कि जिस प्रकार एक सुंदर भवन की सफाई के लिए झाड़ कारगर होती है ठीक उसी प्रकार आत्मा पर चढ़े मेल की सफाई चातुर्मासिक झाड़ करती है। यह झाड़ू हमारे जीवन का उद्धार करने का कार्य करती है। परमात्मा के निकट अपनी आत्मा को पहुचाने के लिए कषायों वासनाओ को हटाने के लिए एवं सद्गणों, संस्कारो को जानने के लिए चातुर्मास पर्व की आराधना की जाती है। जिस प्रकार हम किसी अल्पकालिक प्रवास के पूर्व तैयारी करते है तो यह चातुर्मास तो अनमोल पर्व है इसकी तैयारी भी हमे विशिष्टता के साथ करनी चाहिए। हमारी आत्मा को उज्ज्वल करने वाला चातुर्मासिक पर्व प्रदान करने के लिए परमात्मा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना ही मुख्य होता है। समवशरण जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा में भक्तों का जनसैलाब उमड़ा। हजारों की संख्या में जैन समाज बंधुओं ने शामिल होकर प्रवचनों का लाभ लिया।
:: महिलाओं कलश लिए चलीं ::
जुलूस में समाज की महिलाएं 108 कलश और पुरूष 108 धर्म ध्वज लिए नजर आए। जुलूस के बाद आर्यिका पूर्णमति माताजी ने कंचनबाग समवशरण जैन मंदिर में धर्म सभा को संबोधित किया। आर्यिका पुर्णमति माताजी 8 आर्यिकाओं के साथ 120 दिन इन्दौर में प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगी। चातुर्मास के दौरान ही माताजी कई जगह प्रवास भी करेंगी।
:: भजनों की विशेष प्रस्तुतियां ::
दिंगबर जैन समाज व दयोदय चेरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट ने बताया कि आर्यिका पूर्णमति माता के इस मंगल जुलूस में दिगंम्बर जैन समाज की अलग-अलग संगठनों से जुड़ी 35 से अधिक महिला मंडल द्वारा जुलूस में भजनों की भी प्रस्तुतियां दी गई। मंगल जुलूस के अग्र भाग में जहां महिलाएं अपने सिर पर कलश धारण कर शामिल हुई वहीं जुलूस के मध्य भाग में महिलाएं भजनों की भी प्रस्तुतियां दे रही थी। मंगल जुलूस में महिलाएं धर्मध्वजा अपने हाथों में थामे गुरुवर की अगवानी में जयजयकार लगाते हुए मार्ग में चल रही थी।
:: 150 से अधिक युवाओं ने संभाली व्यवस्था ::
मंगल प्रवेश जुलूस में यातायात बाधित न हो इसके लिए 150 से अधिक युवाओं ने यातायात व्यवस्था संभाली। वहीं मंगल प्रवेश जुलूस के लिए अलग-अलग समितियों का गठन भी किया था। जिससे समाज बंधुओं को मार्ग में कोई परेशानी न हो।
उमेश/पीएम/3 जुलाई 2022