नई दिल्ली । भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर देश की आजादी के लिए संघर्ष के नायकों को याद किया। इसके साथ ही उन्होंने एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी को भी मुंहतोड़ जवाब दिया। गौरतलब है कि ओवैसी ने सवाल उठाया था कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में मुस्लिम महापुरुषों का ज़िक्र करेंगे। लालकिले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यूपी की धरती से जुड़े क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खान और बेगम हजरत महल तक को भी नमन किया।
मोदी ने सोमवार को लालकिले की प्राचीर से भाषण देते हुए कहा, ‘हम सभी देशवासी पूज्य बापू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबासाहेब आंबेडकर और वीर सावरकर के कृतज्ञ हैं। जिन्होंने कर्तव्य पथ पर जीवन को खपाया। यह देश कृतज्ञ है। मंगल पांडेय, तात्यां टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्लाह खान, रामप्रसाद विस्मिल जैसे क्रांतिवीरों ने अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिला दी। ये देश कृतज्ञ है उन वीरंगानाओं रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, दुर्गा भाभी, रानी चेनम्मा, बेगम हजरत महल का। भारत की नारी शक्ति क्या होती है, भारत की नारी शक्ति का संकल्प क्या होता है। भारत की नारी त्याग और बलिदान की पराकाष्ठा कर सकती है। ऐसी वीरंगनाओं को याद कर जज्बा पैदा होता है।’
दरअसल, ओवैसी ने एक दिन पहले ही ट्विटर पर भाषण का वीडियो अपलोड करते हुए कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लालकिले से खड़े होकर मुल्क से संवाद करेंगे तो मजलूमों का भी जिक्र करेंगे। उम्मीद है कि पीएम जब तिरंगा फहराएंगे तो अल्लामा फैजल खैराबादी का, मौलाना महमूद उल हसन का, हुसैन अहमद मदनी का, मौलाना काफी का, अशफाकउल्लाह का जिक्र करेंगे। वो करें या ना करें, हम तो करते रहेंगे। हमें अपने बुजुर्गों पर फक्र है। जब हम उनकी कुर्बानियों की दास्तान पढ़ते हैं तो हमारा सीना चौड़ा हो जाता है
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अल्लामा फैजल खैराबादी, मौलवी अलाउद्दीन, तुरेबाज खान की शहादत का जिक्र करके कहा, ‘मुल्क की आजादी आसानी से नहीं मिली। बहुत इंतजार और कठिन सफर से गुजरना पड़ा। यहां हर मजहब के लोगों ने मिलकर अंग्रेजों को भगाया था। आज भी हर समुदाय के लोग मिल जाएंगे तो जुल्म, गुरबत को मिटा देंगे और अमन कायम हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जन्मे अशफाक उल्लाह खान ने अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ लड़ते हुए शहादत दे दी। लखनऊ के काकोरी में रेलगाड़ी में सरकारी खजाने में हुई लूट के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया और 27 साल की उम्र में फांसी की सजा दे दी गई। वहीं अवध के नवाब वाजिद अली शाह की बेगम हजरत महल 1857 की क्रांति में कूदने वाली पहली महिला थीं।