‘बाल शिव‘में ‘‘बाल शिव और महासुर के बीच एक भयंकर संग्राम छिड़ जाता है, जिसमें महासुर बाल शिव को भस्म करने के लिये उनकी ओर बढ़ता है। इंद्र बाल शिव को बचाने के लिये आते हैं और उनसे युद्ध का मैदान छोड़कर चले जाने के लिये कहते हैं। सनथ कुमार महासती अनुसुइया को बताते हैं कि बाल शिव युद्ध के मैदान से भाग गये हैं, जिसे सुनकर वह उदास हो जाती हैं। तब बाल शिव अपनी मां को बताते हैं कि वह भागे नहीं थे, बल्कि यह सब उनकी एक योजना थी। ताड़कासुर अपने मायावी दर्पण में देखता है कि बाल त्रिदेव कहां हैं और इसके बारे में महासुर को बताता है। महासुर बाल त्रिदेव के पास पहुंचता है और फिर से युद्ध करने लगता है, जहां बाल शिव आखिरकार महासुर का वध कर देते हैं। दूसरी ओर, ताड़कासुर दंडपाणि को आदेश देता है कि वह महासती अनुसुइया को मार दे। वह सनथ कुमार का वेश बनाता है और महासती अनुसुइया को दवा देता है, जिससे वह पत्थर की मूरत में तब्दील हो जाती हैं। जब बाल शिव अपनी माता को इस रूप में देखते हैं, तो उनकी तीसरी आंख से चिंगारी निकलने लगती है