चीतों के प्रेमी निजाम 

वाह हमारा भारत देश अजब गजब है निजाम महान ,

भूख गरीबी मंहगाई बातें छोड़ा चीते पर अटकी जान।।

वन्य जीव संरक्षण प्राणी आया है दिल बरसों के बाद,

क्या होगा लाभ हमें भूख गरीबी बेरोजगारी नहीं याद।।

वन्य जीव अभयारण्य में प्रवास करेंगे शिकारी संहार,

मृग शावकों को छोड़ा उनके खातिर बने बलि आहार।

धन्य शौक़ रहा पास संसृति मनुज जीव बड़ा अभागा,

रोजगार विहीन भूखा सोया मर मिटा क्यों रोए कागा।

धन्य धन्य भाग्य उदय हुआ  प्रकाशित हुए दिग्दिगंत,

चारण भाट गढ़े कहानी जिसका कोई आदि ना अंत।

लोकतंत्र में मीडिया जनता का सहचर है चौथा स्तंभ,

कहां सवाल उठाता निजामों से राजतंत्र में मुर्दा दंभ।।

व्यर्थ धनराशि खर्च करने में लोग शौक पाले है आज,

आदमी दर-दर ठोकर खाता भूखा बैठा कैसा सुराज।

काम नहीं हाथों में शिक्षा का गिरता स्तर बनते बेताज,

झूठे वादों का साम्राज्य गढ़ते लिखते जय हो अधिराज।

      के एल महोबिया

अमरकंटक अनूपपुर मध्यप्रदेश